DR BABULAL TIWARI MLC
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डॉ. बाबूलाल तिवारी एमएलसी

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डॉ. बाबूलाल तिवारी, MLC

(इलाहाबाद–झांसी शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र)

शैक्षिक एवं व्यावसायिक पृष्ठभूमि

डॉ. बाबूलाल तिवारी का शैक्षिक सफर बेहद प्रभावशाली रहा है। उन्होंने पीएचडी, एम.एड., एलएल.बी. और एम.ए. की उपाधियाँ प्राप्त की हैं। वे झांसी स्थित बुंदेलखंड कॉलेज के प्राचार्य रह चुके हैं, जहाँ उन्होंने शिक्षा और प्रशासन दोनों क्षेत्रों में अपनी नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन किया।

राजनीतिक यात्रा और जनसेवा

फरवरी 2023 में डॉ. तिवारी ने इलाहाबाद–झांसी शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से विधान परिषद की सीट भाजपा के उम्मीदवार के रूप में जीती। उन्होंने तीन बार के एमएलसी रहे सुरेश कुमार त्रिपाठी को 1,403 वोटों से हराया। यह जीत भाजपा और उनके व्यक्तिगत राजनीतिक करियर, दोनों के लिए अहम मानी जाती है।

उन्होंने 13 फरवरी 2023 को पद ग्रहण किया और उनका कार्यकाल 12 फरवरी 2029 तक रहेगा।


छवि और जन धारणा-

डॉ. बाबूलाल तिवारी को जमीनी नेता माना जाता है। वे सरकार और प्रशासन की खामियों पर खुलकर बोलते हैं—यहाँ तक कि गलत होने पर अपनी ही पार्टी की सरकार के अधिकारियों के खिलाफ भी खुलकर आवाज उठाते रहे हैं ।

एक चर्चित घटना में उन्होंने नरैनी  बांदा जिले के अधिकारियों को सीधे तौर पर आड़े हाथों लिया था और आरोप लगाया था कि यहाँ बिना पैसे कोई काम नहीं होता। उन्होंने यह भी कहा कि वे इस विषय को विधान परिषद में उठाएंगे। उनका यह रुख उन्हें जनता के बीच बेबाक और ईमानदार नेता के रूप में पहचान दिलाता है।


एक नजर में –   dr. Babulal Tiwari MLC

विशेषता विवरण
नाम डॉ. बाबूलाल तिवारी
राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)
निर्वाचन क्षेत्र इलाहाबाद–झांसी शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र
कार्यकाल फरवरी 2023 – फरवरी 2029
शैक्षिक योग्यता पीएचडी, एम.एड., एलएल.बी., एम.ए.
पूर्व पद प्राचार्य, बुंदेलखंड कॉलेज, झांसी
जन-छवि नौकरशाही के आलोचक, शिक्षक-समुदाय की आवाज़

क्यों महत्वपूर्ण हैं डॉ. बाबूलाल तिवारी

  • शिक्षा और राजनीति का संगम : डॉ. तिवारी शिक्षा जगत और राजनीति दोनों का अनुभव रखते हैं छात्र नेता से शिक्षक नेता का सफर उन्हें महान बनाया व आम जन तक उनकी छवि बेहद प्रभावशाली रही है । इस कारण वे शिक्षा नीति और शिक्षक हितों की गहरी समझ रखते हैं।

  • बेबाक आवाज़ : वे भ्रष्टाचार और प्रशासनिक सुस्ती पर खुलकर बोलते हैं। इससे जनता को उम्मीद है कि वे पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देंगे।

  • शिक्षक समुदाय के मजबूत प्रतिनिधि : शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से चुनकर आने के कारण वे शिक्षकों की समस्याओं और मुद्दों को सीधे विधान परिषद तक पहुँचाते हैं।

  • बुंदेलखंड विकास के लिए समर्पण : उनका ध्यान खासतौर पर बुंदेलखंड क्षेत्र के विकास और वहाँ की उपेक्षित समस्याओं को दूर करने पर है।


आगे की राह

अभी उनके कार्यकाल के चार साल से अधिक का समय शेष है। इस दौरान वे शिक्षा सुधार, शिक्षक कल्याण, और प्रशासनिक जवाबदेही जैसे मुद्दों पर बड़ा असर डाल सकते हैं। उनकी भूमिका भविष्य में शिक्षा व्यवस्था को नई दिशा देने में अहम हो सकती है।

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