भैरों प्रसाद मिश्रा उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के प्रमुख जन प्रतिनिधि रहे हैं, जिनकी पहचान उनके सादे जीवन, स्पष्टवादिता और सक्रिय जनसंपर्क के लिए होती है. चित्रकूट-बांदा लोकसभा क्षेत्र से सांसद रहते हुए उन्होंने लोकसभा में 100% उपस्थिति दर्ज की—यह राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है। उन्होंने 2095 बहसों में हिस्सा लिया और 545 प्रश्न पूछे, जो औसत सांसदों से कई गुना ज्यादा है. उनकी उपस्थिति और बहस में सहभागिता उन्हें देशभर के सबसे सक्रिय सांसदों में स्थान दिलाती है; “फेम इंडिया” पत्रिका सहित अनेक मंचों ने उन्हें इस कार्य के लिए सम्मानित किया.
राजनीतिक शुरुआत और समाज सेवा
भैरों प्रसाद मिश्रा ने राजनीति की शुरुआत जमीनी स्तर से की थी। वे जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष और बुंदेलखंड विकास समिति के उपाध्यक्ष रहे हैं. 1993 में बीजेपी के टिकट पर विधायक चुने गए और ग्रामीण मुद्दों पर अपनी पकड़ एवं सक्रियता को साबित किया। उन्होंने शिक्षा और समाज सेवा को जीवन का उद्देश्य बनाया — वर्षों तक कई विकास समितियों से जुड़े रहे.
बुंदेलखंड के विकास में योगदान
सांसद रहते भैरों प्रसाद मिश्रा ने क्षेत्रीय विकास के बहुस्तरीय प्रयास किए:
बुंदेलखंड में सिंचाई परियोजनाओं के विस्तार हेतु प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की प्रभावशील क्रियान्वयन में महत्वपूूर्ण भूमिका निभाई
रेल नेटवर्क के विस्तार, दोहरीकरण और विद्युतीकरण को लेकर संसद में लगातार मांग उठाई, जिससे क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को नई दिशा मिली. पानी के संकट, पलायन, युवाओं के रोजगार, सड़क और चिकित्सा सुविधाओं जैसे जनहित मुद्दों को संसद में प्राथमिकता दी.
किसानों की समस्याओं, शिक्षा सुधार और जल संकट पर खुलकर आवाज उठाई और इन विषयों को राष्ट्रीय विमर्श का हिस्सा बनाया.
कार्यशैली और छवि
उनकी छवि एक सक्रिय, ईमानदार और सत्ता से सवाल करने वाले जनप्रतिनिधि के रूप में रही है—जनता के लिए खुलकर लड़ने वाले नेता के तौर पर. वे मानते हैं कि जो सांसद जनता की सेवा का जज़्बा नहीं रखते, उन्हें चुनाव नहीं लड़ना चाहिए.
व्यक्तिगत जीवन व सामाजिक प्रभाव
जन्म: 7 सितंबर 1958, हनुवा, जिला चित्रकूट, उत्तर प्रदेश.
शिक्षा: 12वीं पास.
पेशा: कृषक एवं व्यवसायी.
पार्टी: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), पूर्व में बहुजन समाज पार्टी.
परिवार: पत्नी—चिंता देवी मिश्रा, चार संतान.
कई बार विधायक रह चुके मिश्रा की संपत्ति और सामाजिक स्थिति भी उल्लेखनीय रही है—उनके पास कृषि एवं व्यापार से संबंधित व्यावसायिक पृष्ठभूमि है.
भैरों प्रसाद मिश्रा केवल पद प्राप्ति के लिए नहीं, बल्कि सेवा, जवाबदेही और ईमानदारी की मिसाल हैं। उनकी कार्यशैली सच्चे जनप्रतिनिधि की पहचान को स्थापित करती है. विकास, जनहित, और सामाजिक समर्पण के प्रति उनकी निष्ठा बुंदेलखंड क्षेत्र के लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है.
संसद में उठाए गए प्रमुख प्रश्न
भैरों प्रसाद मिश्रा ने संसद में कई अहम प्रश्न उठाए और 21 निजी विधेयक प्रस्तुत किए, जिनका मुख़्य उद्देश्य क्षेत्रीय और राष्ट्रीय समस्याओं को उजागर करना तथा समाज के वंचित वर्गों को लाभ पहुँचाना रहा.
तिथि
प्रश्न / विषय
मंत्रालय
13.02.2019
झाँसी लाइन पर ट्रेन डाइवर्जन सुधार
रेल
12.02.2019
किसान कल्याण योजनाओं का लाभ
कृषि
11.02.2019
बुंदेलखंड से पलायन की समस्या
श्रम एवं रोजगार
06.02.2019
बुंदेलखंड के लिए विशेष पैकेज
योजना
05.02.2019
हिली और पिछड़े क्षेत्रों में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग
खाद्य प्रसंस्करण
04.02.2019
राष्ट्रीय रामायण मेला
संस्कृति
07.02.2019
ग्रामीण युवाओं में खेल प्रवर्धन
युवा कार्य
30.07.2018
कोल जनजाति को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करना
जनजातीय मामले
29.07.2016
बुंदेलखंड पैकेज
योजना
07.08.2015
बुंदेलखंड पैकेज
योजना
21.07.2015
प्राकृतिक आपदाओं के लिए सहायता
गृह
13.08.2015
इंदिरा आवास योजना
ग्रामीण विकास
15.03.2018
ग्रामीण विकास योजनाएँ
ग्रामीण विकास
07.08.2018
छोटे और आधुनिक कोल्ड स्टोरेज
खाद्य प्रसंस्करण
उन्होंने जल संकट, सिंचाई, रोजगार, MSME, रेलवे दोहरीकरण, क्षेत्रीय ट्राइब्स, GST, स्वास्थ्य सुविधाएँ, किसानों की समस्याएँ, महिला कल्याण, पंचायत व्यवस्था, सड़क निर्माण, बिजली, मनरेगा, मनरेगा, शिक्षा, रेलवे इलेक्ट्रिफिकेशन, कोल जनजाति के हक, पीएम किसान बीमा, एनर्जी, मेडिकल, खनन, क्राइम, कानून व्यवस्था, खेल, रक्षा, पर्यटन, आयुष, पलायन, और अन्य विषयों पर जोरशोर से प्रश्न उठाए.
निजी विधेयक / प्राइवेट मेंबर बिल्स
स्थानीय विकास एवं सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने हेतु बिल
सिंचाई/जल प्रबंधन सुधार
भूतपूर्व सैनिक कल्याण
समाज के वंचित व पिछड़े वर्गों के लिए विशेष योजनाओं की मांग
रोजगार, शिक्षा, स्किल डेवेलपमेंट को केंद्र में रखने वाले विधेयक
विषयों की यह सूची स्पष्ट करती है कि उनके सवाल और बिल सामाजिक, प्रशासनिक सुधार और बुंदेलखंड के विकास पर केंद्रित रहे